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Showing posts from 2019

50 करोड़ का मालिक है सॉल्वर गैंग का सरगना अरविन्द राणा

सॉल्वर गैंग का जन्म डेढ़ दशक पहले उत्तर प्रदेश के बड़ौत(बागपत) कस्बे में हुआ था। बड़ौत की खत्री गढ़ी में अरविन्द राणा नामक युवक कोचिंग सेंटर चलता था,वहीं से अरविन्द ने पहले परीक्षा के पेपर आउट कराये, फिर इसके बाद सॉल्वर को परीक्षा में बैठाया गया। इलेक्ट्रिक तकनीक भी इसमें प्रयोग की। इस तरह से देखते ही देखते अरविन्द राणा सॉल्वर गैंग का सरगना बन गया। देश भर में उसने बड़ा रैकेट तैयार कर लिया। बिहार, यूपी, हरियाणा, केन्द्र सरकार की परीक्षाएं हो, सभी में इस गिरोह ने घुसपैठ कर ली। इस गिरोह के पचास से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी पुलिस कर चुकी है। कई आॅफिसर पद पर कार्यरत होने के बाद भी इस गिरोह को संचालित कर रहे थे, जिसमें पिछले दिनों बागपत के बाजिदपुर में कस्टम विभाग के ए-क्लास के आॅफिसर को भी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। गिरोह व्यापक स्तर पर सरकारी जॉब दिलाने में पकड़ बनाता चला गया। गिरोह सरगना अरविन्द राणा के खिलाफ चालीस से ज्यादा मुकदमें दर्ज है, मगर उसको पुलिस डेढ़ दशक बाद भी गिरफ्तार नहीं कर सकी। अरविन्द ने पुलिस विभाग में भी बड़ी तादाद में दारोगा व सिपाही भर्ती कराये है, जिनसे गहरी घुसपैठ बनी हुई

आवश्यकता फ्लाई ओवर की, बन रही रोटरी

मेरठ विकास प्राधिकरण(एमडीए) ने हापुड़ स्टैंड चौराहे पर रोटरी बनाने का निर्णय लिया है। इसका प्लान यूएमटीसी से बनवा लिया गया है। जल्द ही रोटरी के निर्माण का कार्य चालू कर दिया जाएगा। गौरतलब बात यह भी है कि हापुड़ स्टैंड चौराहे पर वर्तमान में रोटरी की नहीं, बल्कि फ्लाई ओवर बनाने की आवश्यकता है। क्योंकि जो सर्वे हुआ है, उसमें यह बात सामने आई है कि यहां पर ट्रैफिक ज्यादा है, जिसके चलते रोटरी कामयाब होगी, इस विभागीय अफसरों को भी शंका है। आला अफसर रोटरी बनाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं, लेकिन यह भी विचारनीय प्रश्न है कि मेरठ विकास प्राधिकरण के पास रोटरी से ज्यादा खर्च करने को बजट भी नहीं है। बजट होता तो फिर फ्लाई ओवर ही बनाया जाता। हापुड़ रोड का एनएचएआई ने चौड़ीकरण व निर्माण तो कर दिया,मगर शहर की एंट्री प्वांइट पर ध्यान नहीं दिया। एनएचएआई की जिम्मेदारी बनती है कि शहर के पार्ट पर भी फ्लाई ओवर का भी निर्माण कराये? बरहाल कुछ भी हो फिलहाल शहर की जनता को रोटरी से ही काम चलाना पड़ेगा। यह भी महत्वपूर्ण है कि रोटरी बनने के बाद जाम नहीं लगेगा, ऐसी संभावनाएं कम है। क्योंकि जिस तरह से सर्वे में यह

मुआवजे पर रार: किसानों का कमिश्नरी पर डेरा

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर मुआवजे को लेकर किसानों व प्रशासन के बीच ‘रार’ बढ़ गई है। डासना से आरंभ हुई किसान पदयात्रा शनिवार को दोपहर बाद बड़ी तादाद में किसान कमिश्नरी चौराहे पर पहुंचे तथा यहां किसानों ने अनिश्चित कालीन डेरा लगा दिया। भूडबराल में किसानों का रात्रि विश्राम था, वहीं से किसानों ने कमिश्नरी चौराहे के लिए पदल कूच किया था। यह पदयात्रा 30 अक्तूबर को आरंभ हुई थी। किसान पदयात्रा की हुंकार के बाद कमिश्नरी चौराहे को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। सर्वप्रथम किसानों ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौ. चरण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया, जिसके बाद कमिश्नरी पार्क में किसान डेरा लगाकर बैठ गए। किसानों के इस आंदोलन में महिला किसान भी बड़ी तादाद में पहुंची। महिला व पुरुष किसान यहां डेरा लगाकर बैठ गए हैं। किसानों के इस रुख से पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया। भाजपा सरकार के खिलाफ भी किसानों ने खूब नारेबाजी की। सरकार को किसान विरोधी बताते हुए आंदोलन को बड़ा रुप देने का भी ऐलान किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बागपत दौरे के दौरान विरोध करने की रणनीति भी तैयार करने की किसानों ने बात कही

मुआवजे पर ठनी रार, प्रशासन व किसान आमने-सामने

मेरठ के शताब्दीनगर की 600 एकड़ जमीन के मुआवजे को लेकर किसानों व प्रशासन में ‘रार’ बढ़ गई है। मुआवजे के मुद्दे को लेकर प्रशासन व किसान आमने-सामने आ गए हैं। प्रशासनिक अफसर व किसान शनिवार को बचत भवन में एक प्लेटफॉर्म पर बैठे, जिसमें डीएम अनिल ढींगरा ने दो टूक कह दिया कि किसानों को नई नीति के तहत मुआवजा प्रशासन नहीं देगा, वहीं किसानों ने भी एमडीए को जमीन हैंडओवर करने से साफ इनकार कर दिया है। इस तरह से प्रशासन व किसानों के बीच टकराव बनना तय है। उधर, शताब्दीनगर के सेक्टर-छह में आमरण-अनशन पर बैठे भाकियू नेता विजयपाल घोपला के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। शनिवार को उनका चिकित्सा परीक्षण भी हुआ, जिसमें उनका दो किलो वजन गिरा है। शताब्दीनगर की 600 एकड़ जमीन को लेकर लंबे समय से प्रशासन व किसानों के बीच विवाद चला आ रहा है। किसानों ने 600 एकड़ जमीन पर कब्जा कर रखा है तथा किसान इस जमीन पर खेती कर रहे हैं। इस जमीन पर कब्जा लेने के लिए एमडीए की टीम शुक्रवार को शताब्दीनगर पहुंची थी। पुलिस की मौजूदगी में एमडीए की टीम को किसानों ने दौड़ा लिया था तथा जेसीबी मशीन व टैÑक्टरों में तोड़फोड़ कर दी

शराब तस्करों को क्लीन चिट क्यों दी?

वेस्ट यूपी में मेरठ जनपद धड़ाधड़ हो रहे अपराधियों के एनकाउंटर से खासा सुर्खियों में है। पुलिस की छवि किसी दबंग से कम नहीं दिख रही है, लेकिन पुलिस का दबंग वाला ही चेहरा नहीं, बल्कि एक ऐसा चेहरा भी आपके सामने हम ला रहे हैं, जिसमें पुलिस थाना स्तर पर क्या-क्या खेल करती हैं? शराब तस्करों को सिखचो के पीछे होना चाहिए था, मगर पुलिस की मेहरबानियों के चलते शराब तस्करों को किस तरह से पुलिस बचा रही है। उसको हम आपके सामने सार्वजनिक कर रहे हैं। इनामी बदमाशों को पुलिस टारगेट कर रही है, मगर कुछ खास अपराधियों पर मेहरबान क्यों हैं? इसकी हमने छानबीन की, जिसके बाद जो तथ्य सामने आये, वे चौकाने वाले थे। मेरठ जनपद के पल्लवपुरम व कंकरखेड़ा थाने में शराब माफिया के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, लेकिन पुलिस ने तफ्तीश में ऐसा खेल किया कि शराब माफिया को ही क्लीन चिट दे डाली? पुलिस ने ऐसा क्यों किया? यह बड़ा सवाल है। ये मामले आला पुलिस अफसरों से छुपाये गए और थाना स्तर पर पुलिस ने इसमें बड़ा खेल कर दिया। पल्लवपुरम व कंकरखेड़ा थाना पुलिस इन मामलों में कटघरे में खड़ी हो गई है। पल्लवपुरम थाने में 27 अपै्रल 2019 को 147,148,