मित्रों पूरे देश की निगाहें यूपी के चुनाव पर लगी हैं। चुनाव तो पंजाब, उत्तराखंड में भी हो रहे हैं, लेकिन यूपी सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो गया हैं। भाजपा में परेशानी की लकीरे खींचने लगी है। तीन चरणों के चुनाव के बाद भाजपा नेताओं में अजीब सी बैचेनी पैदा हो गई हैं। यह चुनाव 2022 का नहीं, बल्कि 2024 का सेमीफाइनल भी है। इस वजह से भी भाजपा शीर्ष नेताओं ने पूरी ताकत झोंकी, लेकिन आखिर एक माह में ऐसा क्या हुआ कि यूपी का चुनाव ही बदल गया। इसकी वजह क्या हैं ? क्या नेताओं का एक पार्टी छोडकर दूसरी पार्टी में जाना वजह हैं या किसान आंदोलन। क्योंकि पश्चिमी यूपी के किसानों की आंदोलन में अहम भूमिका रही हैं। किसान आंदोलन से पहले भाजपा का कहीं कोई विरोध नहीं था। विपक्ष को पैर टेकने की जगह नहीं मल रही थी। इस बात को भाजपा के कई बडे नेता भी मानते हैं, मगर इसे जगजाहिर नहीं होने दे रहे हैं। किसान आंदोलन जैसे ही चला, विपक्ष भी शोर—शराबा करने लगा। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने पश्चिमी यूपी में ताबडतोड महापंचायत की। जयंत चौधरी का महापंचायत करने का रेस्पांस भी मिला। किसान आंदोलन का 13 माह चलना भी भाजपा के लिए नुकसान