Skip to main content

Posts

Showing posts from 2012

विधायक ने कराया बद्दो का समर्पण

कहानी एक लाख के इनामी बदमाश बदन सिंह बद्दो की है, जो एक दशक से पुलिस की पहुंच से दूर था। हाथ लगा तो कहानी कुछ इस तरह से सामने आई। टॉप अपराधी के साथ पुलिस की मुठभेड तक नहीं। मुठभेड़ नहीं हुई तो बरामदगी कैसे हो सकती थी। मामूली मामले में तो पुलिस फर्जी मुठभेड़ दर्शाती है, मगर बदन सिंह बद्दो को लेकर एसटीएफ व मेरठ पुलिस कुछ खास मेहरबान दिखी। कहां सेटिंग चली? किसने मध्यस्ता की? इसका खुलासा सिलसिलेवार किया जा रहा है। सूत्र बताते है कि द्वारिका स्थित एक फ्लेट में सेटिंग चली, जहां चला एक लाख के इनामी बदमाश बदन सिंह बद्दो के समर्पण का खेल। इस पूरे खेल में कन्नौज के विधायक अरविन्द यादव ने अहम भूमिका निभाई। एक घंटा एसटीएफ की टीम बदन सिंह के फ्लेट में रही। दिल्ली से वातानुकूलित कार में बद्दो को मेरठ तक एसटीएफ की टीम लेकर पहुंची तथा इसके बाद ही पुलिस के सुपुर्द किया। एसटीएफ की टीम जिस समय बदन सिंह को मेरठ लेकर पहुंची तो वह शूट-बूट में था। कपड़ों पर धूल तक नहीं थी। पैरों में पेरिस से खरीदे गए जूते पहने हुए था। बड़ा सवाल यह है कि बदन सिंह बद्दो के फ्लेट में एसटीएफ टीम थी, तब बद्दो नहाया, फिर कपड़े पहने। ख

राजनीति का ‘शंखनाद’

अराजनैतिक अन्ना हजारे ने राजनीति का शंखनाद कर दिया है। अनशन के जरिए ‘राजतंत्र’को हिला देने वाले अन्ना हजारे की शायद समझ में आ गया है कि राजनीति के बिना लोकपाल विधेयक सं•ाव नहीं है। राजनीति की जो पारी अन्ना हजारे खेलने जा रहे है, उसमें उन्हें कितनी कामयाबी मिलेगी? यह तो फिलहाल समय के गर्•ा में है, मगर इतना अवश्य है कि उनके लिए राजनीति की डगर इतनी आसान नहीं है, जितनी समझ रहे है। राजनीति की ‘डगर’में कांटे ही कांटे है। कांटों पर चलकर ही राजनीति की सोंधी खुशबू आ सकती है। राजनीति के प्रथम पायदान से ही अन्ना टीम को चुनौती मिलना लाजिमी है। क्योंकि राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी टीम अन्ना को कहां कटघरे में खड़ा कर दे? कुछ नहीं कहा जा सकता। मानते है कि अन्ना व उसकी टीम निष्ठा व ईमानदारी के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी, लेकिन उनके सामने कई चुनौतियां खड़ी मिलेगी। पहली चुनौती है जातिवाद। जातिवाद से टीम अन्ना कैसे निपटेगी? यह •ाी बेहद कठिन नजर आ रहा है। क्योंकि देश में जातिवाद की राजनीति ही चल रही है। जाति के आधार पर मतदाता प्रत्याशी को वोट देते है। जातिवाद से •ाी यदि टीम अन्ना निपट गई तो फिर बात आती है स

सीएम ईमानदार, अफसर घूसखोर क्यों?

यूपी की कमान युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथ में है। कमान सं•ाालते ही उन्होंने अधिकारियों के तबादले किए। तबादलों में हर जाति के अधिकारी को तव्वजो दी गई। तैनाती में एक दम पारदर्शिता बरती गई। विपक्षी दलों को •ाी युवा मुख्यमंत्री ने उंगली उठाने को मौका तक नहीं दिया, मगर सवाल यह है कि मुख्यमंत्री पूरी ईमानदारी बरत रहे है, फिर •ाी अधिकारी घूसखोरी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। •ा्रष्टाचार पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है। मुख्यमंत्री ईमानदारी से कार्य कर रहे है, फिर अधिकारियों को लूट-खसौट क्यों करने दी जा रही है? इस लूट पर कैसे अंकुश लगेगा। इस तरफ यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आखिर ध्यान क्यों नहीं दे रहे है? घूसखोर अफसरों की रिपोर्ट जिला स्तर से क्यों नहीं मंगाई जा रही है? मुख्यमंत्री को चाहिए की •ा्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए •ा्रष्ट अफसरों पर सीधे नकेल कसे, त•ाी •ा्रष्टाचार पर रोक लग सकती है। •ा्रष्ट अफसरों की वजह से सपा सरकार की सीधे छवि धूमिल हो रही है। एक वि•ााग नहीं, बल्कि कई वि•ाागों के अधिकारी खुली घूस ले रहे हैं। कमिशन •ाी बढ़ा दिया गया था। ठीक वैसे ही चल रहा है, जैसे बसपा क

मां को मार डाला, मुझे भी गोली मार दो

साहब! मेरी मां का कत्ल कर दिया। अब मेरा कत्ल करना चाहते हैं। मैं मरने के लिए आयी हूं। मुझे या तो मार दो या फिर जेल भेज दो। झूठे मुकदमें दर्ज करके उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। है कोई जो उसे न्याय दिला सकता है। घर में खाने को रोटी नहीं है, झूठे मामलों में जमानत कैसे करा लू? यह दर्द है उस रुबीना नामक महिला का है, जो दो वर्ष पहले अपनी मां को खो चुकी है। अब लोग उसकी जान के पीछे पड़े है। सोमवार को यूपी के केबिनेट मंत्री आजम खां मेरठ आए थे। मंडलायुक्त सभागार में आजम खां अधिकारियों की मीटिंग ले रहे थे, उसी दौरान अचानक रुबीना मंडलायुक्त आॅफिस के गेट पर पहुंची तथा छाती पीटकर रोने लगी। रुबीना जमीन पर लेट गई...। इसके बाद तो पुलिस अधिकारियों के होश उड़ गए। रुबीना को जमीन से कैसे उठाया जाए? महिला आत्मदाह करने के लिए कोई कदम नहीं उठा दे? इसको देखते हुए पुलिस अधिकारियों के हाथ-पांव फुल गए। मंडलायुक्त आॅफिस के गेट पर फोर्स तो बड़ी तादाद में लगा रखी थी, मगर महिला पुलिस की यहां तैनाती नहीं की गई थी। आनन-फानन में सीओ कोतवाली मनीष मिश्रा ने एसओ, महिला थाने को फोन करके मौके पर बुलाया। रुबीना मूल रूप से माधवपु