दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर मुआवजे को लेकर किसानों व प्रशासन के बीच ‘रार’ बढ़ गई है। डासना से आरंभ हुई किसान पदयात्रा शनिवार को दोपहर बाद बड़ी तादाद में किसान कमिश्नरी चौराहे पर पहुंचे तथा यहां किसानों ने अनिश्चित कालीन डेरा लगा दिया। भूडबराल में किसानों का रात्रि विश्राम था, वहीं से किसानों ने कमिश्नरी चौराहे के लिए पदल कूच किया था। यह पदयात्रा 30 अक्तूबर को आरंभ हुई थी। किसान पदयात्रा की हुंकार के बाद कमिश्नरी चौराहे को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। सर्वप्रथम किसानों ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौ. चरण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया, जिसके बाद कमिश्नरी पार्क में किसान डेरा लगाकर बैठ गए। किसानों के इस आंदोलन में महिला किसान भी बड़ी तादाद में पहुंची। महिला व पुरुष किसान यहां डेरा लगाकर बैठ गए हैं। किसानों के इस रुख से पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया। भाजपा सरकार के खिलाफ भी किसानों ने खूब नारेबाजी की। सरकार को किसान विरोधी बताते हुए आंदोलन को बड़ा रुप देने का भी ऐलान किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बागपत दौरे के दौरान विरोध करने की रणनीति भी तैयार करने की किसानों ने बात कहीं है। देर शाम को आंदोलित किसानों के बीच अपर आयुक्त व एसीएम पहुंचे तथा किसानों को आश्वस्त किया कि उनका मांग पत्र शासन तक पहुंचा दिया जाएगा, लेकिन किसानों ने धरना खत्म करने से मना कर दिया। इसके बाद रात्रि में किसान कमिश्नरी में ही अनिश्चित कालीन डेरा लगा दिया।
किसानों ने 12 सूत्रीय मांग पत्र तैयार कर कमिश्नर अनीता सी मेश्राम को देने के लिए तैयार किया था। कमिश्नर का बागपत दौरा था, जिसके चलते कमिश्नर से आंदोलित किसानों की भेंट नहीं हो पायी। वहीं, मांगें न पूरी करने पर कमिश्नरी पर अनिश्चित कालीन धरना चालू कर दिया। उधर, किसानों की पदयात्रा को देखते हुए कमिश्नरी पर दोपहर 12 बजे से ही भारी संख्या में पुलिस तैनात कर दी गई थी। कमिश्नरी चौराहे पर चप्पे-चप्पे पर पुलिस कर्मी ही नजर आ रहे थे। प्रशासन पूरी तरह अलर्ट हो गया। एसडीएम और अन्य पुलिस अधिकारी भी फोर्स के साथ मौके पर ही कैंप कर गए। किसानों की पदयात्रा के चलते कमिश्नरी की चारों तरफ से पुलिस ने घेराबंदी कर ली थी, लेकिन किसानों ने शांतिपूर्ण तरीके से ट्रैक्टर ट्राली व पैदल कमिश्नरी पार्क में पहुंचे। पदयात्रा परतापुर के भूडबराल से रवाना होकर कमिशनरी जैसे ही पहुंच तो माहौल एक बारगी तनावपूर्ण हो गया था, लेकिन किसानों ने कमिश्नरी में घुसने की बजाय कमिश्नरी पार्क में डेरा लगा दिया। किसान सेवा समिति के बैनर तले चल रही पदयात्रा शुक्रवार शाम परतापुर के भूडबराल पहुंची थी। सैकड़ों किसानों का कांशी गांव में स्वागत किया गया। किसानों के खाने के लिए फलों का इंतजाम किया गया। फल लेने के दौरान किसानों में भगदड़ मच गई। किसानों ने भूडबराल सहित परतापुर के कई गांवों में रात्रि विश्राम किया। शनिवार को पदयात्रा में शामिल किसानों ने कमिश्नरी के लिए कूच किया। इस यात्रा में सैकड़ों किसान और महिलाएं भी शामिल हैं। सपा नेता अतुल प्रधान भी पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं। यात्रा में सपा नेता शोएब सिद्दीकी, प्रधान अरशद, नंबरदार जुनैद, महबूब अली, रालोद नेता चौ. यशवीर सिंह, अमरजीत सिंह, सतेंद्र तोमर, संजय चौधरी, बाबू सिंह आर्य, सतपाल चौधरी मौजूद थे।
ये हैं किसानों की मांगें
अधिग्रहित भूमि का एकसमान मुआवजा दिया जाए।
रजवाहे से खेतों में पानी की निकासी रुक गई है, जिससे किसान की फसल सूख गई हैं। ऐसे में सर्विस रोड बनाई जाए।
अंडरपास तैयार किए जाने के अलावा अन्य मांगें शामिल हैं।
काशी,शौलाना, भूडबराल, परतापुर अन्य गांवों की आर्बीटेंशन की भी सुनवाई नहीं हुई, जिसे किया जाए।
मुआवजा प्रेम कुमार गोगी व संतोष कुमार गोगी को दिये गए मुआवजे के बराबर किसानों को मुआवजा दिया जाए।
डासना से मेरठ तक किसानों के आवागमन के लिए सर्विस रोड का निर्माण किया जाए।
टेंडर में वर्णित अंडर पास की ऊर्जा 5.5 मीटर हो, इसे ठेकेदार कंपनी ने छोटा कर दिया है। मुआवजे की रकम से कृषि भूमि खरीदने पर स्टाम्प शुल्क निशुल्क की जाए।
रेलवे कोरिडोर की तरह अधिग्रहीत भूमि की तर्ज पर प्रभावित प्रत्येक खाते धारक को साढ़े पांच लाख रुपये दिये जाए।
शासन स्तर पर अटकी अधिग्रहण की फाइल
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के डासना से मेरठ चौथे चरण के 32 किलोमीटर मार्ग में चार गांवों की जमीन पर भी अभी कोई फैसला नहीं हो सका है। इसमें डासना, कुसालिया, नाहल, रसूलपुर सिकरोड शामिल हैं। यहां जमीन का 50 करोड़ से ज्यादा का मुआवजा बांटा जाना है, लेकिन फाइल शासन स्तर पर अटकी है। अधिकारियों का दावा था कि सितंबर-2019 में जमीन का मामला सुलझ जाएगा, लेकिन नवंबर शुरू हो चुका है लेकिन मामला जस का तस है।
कहां गए बाकी किसान नेता
किसानों के इस आंदोलन में सिर्फ दो किसान नेता ही नजर आ रहे हैं। इसमें सपा के अतुल प्रधान और चौ. यशवीर सिंह। इन दो नेताओं के अलावा किसानों के इस आंदोलन में किसी भी पार्टी के किसान नेता नजर नहीं आये। इससे साफ है कि किसान हितों की बात तो सभी करते हैं,मगर इस आंदोलन से किसान नेता किनारा क्यों कर रहे हैं? अतुल प्रधान आंदोलन के प्रथम दिन से ही किसानों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। पैदलयात्रा में किसान बड़ी तादाद में पहुंचे हैं, लेकिन किसानों की राजनीति करने वाले अन्य नेता इस आंदोलन में दिखाई नहीं दिये। किसानों ने अनिश्चित कॉलोनी डेरा कमिश्नरी पर लगा दिया है। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती है किसान कमिश्नरी पार्क से उठने वाले नहीं है। किसानों के इस आंदोलन के प्रथम दिन ही पुलिस-प्रशासन के दिल की धड़कन बढ़ा दी है। सपा में मंत्री रह चुके कई नेता शहर में है,मगर इस आंदोलन में नहीं पहुंचे। रालोद में भी कई दिग्गज खुद को किसान नेता कहते है, मगर किसानों के इस आंदोलन में नजर नहीं आये।
कमिश्नरी में चढ़ी कढ़ाई
किसानों ने खुद ही भोजन की व्यवस्था कर ली है। कमिश्नरी पार्क मेंही किसानों ने टेंट लगा लिया तथा कढ़ाई भी चढ़ा दी। पुरी-सब्जी किसानों के लिए तैयार की गई तथा देर रात्रि तक परोसी गई। दिन रात किसानों के इस आंदोलन में किसानों के पहुंचने का आह्वान किया गया है, ताकि किसानों के इस आंदोलन को सफल बनाया जा सके।
Comments
Post a Comment