Skip to main content

शराब तस्करों को क्लीन चिट क्यों दी?

वेस्ट यूपी में मेरठ जनपद धड़ाधड़ हो रहे अपराधियों के एनकाउंटर से खासा सुर्खियों में है। पुलिस की छवि किसी दबंग से कम नहीं दिख रही है, लेकिन पुलिस का दबंग वाला ही चेहरा नहीं, बल्कि एक ऐसा चेहरा भी आपके सामने हम ला रहे हैं, जिसमें पुलिस थाना स्तर पर क्या-क्या खेल करती हैं? शराब तस्करों को सिखचो के पीछे होना चाहिए था, मगर पुलिस की मेहरबानियों के चलते शराब तस्करों को किस तरह से पुलिस बचा रही है। उसको हम आपके सामने सार्वजनिक कर रहे हैं। इनामी बदमाशों को पुलिस टारगेट कर रही है, मगर कुछ खास अपराधियों पर मेहरबान क्यों हैं? इसकी हमने छानबीन की, जिसके बाद जो तथ्य सामने आये, वे चौकाने वाले थे। मेरठ जनपद के पल्लवपुरम व कंकरखेड़ा थाने में शराब माफिया के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, लेकिन पुलिस ने तफ्तीश में ऐसा खेल किया कि शराब माफिया को ही क्लीन चिट दे डाली? पुलिस ने ऐसा क्यों किया? यह बड़ा सवाल है। ये मामले आला पुलिस अफसरों से छुपाये गए और थाना स्तर पर पुलिस ने इसमें बड़ा खेल कर दिया। पल्लवपुरम व कंकरखेड़ा थाना पुलिस इन मामलों में कटघरे में खड़ी हो गई है।
पल्लवपुरम थाने में 27 अपै्रल 2019 को 147,148,149 व 307 की धाराओं में एक मुकदमा दर्ज किया गया था। ये मुकदमा शराब तस्कर विक्रम व जुम्मा के खिलाफ पुलिस ने दर्ज किया था। पुलिस ने पहले तो विक्रम व जुम्मा के घरों पर दबिश दी, लेकिन बाद में पुलिस ने तफ्तीश के दौरान विक्रम व जुम्मा दोनों को की क्लीन चिट दे दी। यह कैसे संभव हुआ, जिसे पुलिस पहले शराब तस्कर मान रही थी, उसे क्लीन चिट कैसे दे दी? यह बड़ा सवाल है। विक्रम व जुम्मा यदि शराब तस्कर नहीं थे तो पहले पुलिस ने इनको वांटेड क्यों दिखाया? किसी शरीफ आदमी को पहले पुलिस शराब तस्कर दर्शाती है, फिर उन्हें तफ्तीश में क्लीन चिट देती है। यह सब घालमेल पुलिस ने थाने स्तर पर किया। क्योंकि पुलिस थाने में जो चाहती है, वहीं करती है। इस मामले से तो यहीं सब लग रहा है। क्योंकि पहले विक्रम व जुम्मा को शराब तस्कर बताकर मुकदमा दर्ज कराया, फिर शरीफ बताकर मुकदमें से नाम ही निकाल दिया। यह सब घालमेल थाने में पुलिस करती रहती है। इसमें भी यही सब किया गया है। हालांकि यह पूरा मामला आला पुलिस अफसरों से छुपाया गया। दूसरा मामला कंकरखेड़ा थाने का है। इसी वर्ष 21 अपै्रल को जुम्मा व उसके साले मंगल के खिलाफ कंकरखेड़ा थाने में 273,307,3/25 अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। यहां पुलिस रिकॉर्ड में मंगल शराब माफिया घोषित है, लेकिन इसके बावजूद मंगल व जुम्मा का नाम विवेचना में पुलिस ने निकाल दिया। शराब तस्करों पर शिकंजा कसने की बजाय कंकरखेड़ा पुलिस ने आरोपियों पर खास मेहरबानी दिखाई। शराब तस्करों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट आदेश हैं। क्योंकि जहरीली शराब से प्रदेश में बड़ी तादाद में लोगों की मौत हो चुकी हैं, मगर इसके बाद भी पुलिस कर्मी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। शराब तस्करों के नाम निकालने में पुलिस खूब खेल किया। जब शराब तस्करों के नाम विवेचना के दौरान निकाले जा सकते हैं तो थाना स्तर क्या-क्या खेल चल रहे हैं, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इतना तो तब चल रहा है जब एसएसपी अजय साहनी पुलिस पर पूरा शिकंजा कसे हुए हैं, फिर भी पुलिस कर्मी खेल करने से बाज नहीं आ रहे हैं। ये दोनों ही ऐसे मामले है, जिनको आला अफसरों से छुपाकर शराब तस्करों पर खास मेरहबानी पुलिस ने कर दी। इन दोनों प्रकरणों की जांच पड़ताल होती है तो कई पुलिस कर्मियों पर गाज गिर सकती है। इसके अलावा थाना भोजपुर के पच्चीस हजार के इनामी बदमाश कामिल निवासी नाहली को रमेश प्रधान के गोदाम से छापा मारा था, जिसमें कामिल की पुलिस से मुठभेड़ हो गई थी। पुलिस मुठभेड में कामिल घायल हो गया था। इसमें पुलिस ने कामिल को गिरफ्तार दर्शा दिया था तथा रमेश प्रधान को फरार दर्शा दिया था। पुलिस ने विवेचना के दौरान रमेश प्रधान को क्लीन चिट दे दी। यदि रमेश प्रधान दोषी नहीं था तो फिर पुलिस ने उसे आॅन रिकॉर्ड वांटेड क्यों दर्शाया गया? दरअसल, पुलिस पहले वांटेड दर्शाती है, फिर विवेचना में घालमेल करते हुए आरोपी का नाम निकालते हुए क्लीन चिट दे देती है। इस तरह के एक दो मामले नहीं, बल्कि कई मामले सामने आ चुके हैं।

Comments

Popular posts from this blog

बिल्डिर के खिलाफ कमिश्नर से लगाई गुहार

भू-माफिया घोषित करने की मांग, किसानों ने दिया ज्ञापन  मेरठ में घाट के कुछ किसान गुरुवार को कमिश्नर के सामने पेश हुए। इन किसानों का आरोप था कि बिल्डर मोनू गुर्जर ने उनके खेत की चकरोड और नाली को खत्म कर दिया है, जिसके चलते किसान अपने खेतों पर नहीं जा पाते है और खेतों की सिंचाई भी नहीं कर पा रहे हैं।  नहीं आवगमन हो पाता हैं। उनके खेतों पर आने जाने के लिए रास्ता भी खत्म कर दिया गया है। किसानों का कहना है कि उनके खेत की चकरोड और नालियों को खत्म करने वाले बिल्डर को भू-माफिया में चिन्हित कर कानूनी कार्रवाई की जाए। किसानों ने कहा कि खसरा संख्या 1141, 1149, 1162, 1170 आदि में नाली सरकारी है, जो बिल्डर मोनू ने अवैध कॉलोनी में मिलाकर कब्जा कर लिया है, ऐसा आरोप लगाया है। इसमें कितनी सच्चाई हैं, इसकी जांच एमडीए सचिव और प्रशासन की टीम करेगी, जिसके बाद ही वास्तविकता सामने आएगी। शिकायतकर्ता किसान दुर्गा पुत्र शीशा निवासी घाट ने कमिश्नर से गुहार लगाई है कि सरकारी नाली और उनकी चकरोड की जमीन को कब्जा मुक्त कराकर मोनू के खिलाफ भू-माफिया की कार्रवाई की जाए। साथ ही उनकी अवैध कॉलोनी पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्तीक

पाकी का कंपाउंडिंग मानचित्र निरस्त, गिरेगी बिल्डिंग

शताब्दीनगर डिवाइडर रोड पर हुआ है फैक्ट्री का निर्माण   मेरठ की पाकी इंटरप्राइजेज की शताब्दीनगर स्थित बिल्डिंग का कंपाउंडिंग मानचित्र मेरठ विकास प्राधिकरण(एमडीए) ने निरस्त कर दिया है। प्राधिकरण में पाकी इंटरप्राइजेज की बिल्डिंग का कंपाउंडिंग मानचित्र दाखिल किया गया था, जिसकी जांच पड़ताल के बाद प्राधिकरण इंजीनियरों ने इसे रिजेक्ट कर दिया है। दरअसल, तीन हजार वर्ग मीटर जमीन में शताब्दीनगर स्थित डिवाइडर पर अचार की फैक्ट्री बनाई जा रही है। यह फैक्ट्री पंकज गोयल की बताई गई है। इंजीनियरों की टीम ने जो कंपाउंडिंग मानचित्र मेरठ विकास प्राधिकरण में दाखिल किया गया था, उसकी मौके पर जाकर जांच पड़ताल की, जिसमें लिंटर के आगे निकाले गए छज्जे पर तीन मंजिल तक बिल्डिंग उठा दी गई है, जो नियमविरुद्ध है। इसी वजह से पूरी बिल्डिंग को कंपाउंडिंग के दायरे से बाहर कर दिया गया हैं। यही नहीं, सर्विस रोड पर फैक्ट्री मालिक ने टॉयलेट के टैंक बना दिए। इसका उल्लेख भी इंजीनियरों ने अपनी रिपोर्ट में किया हैं। इस वजह से भी कंपाउंडिंग के मानचित्र को निरस्त करना बताया जा रहा है। फिर फैक्ट्री के चारों दिशाओं में दमकल विभाग की ग

भाकियू का आधी रात में चालू हुआ कलक्ट्रेट में धरना, प्रशासन में हड़कंप

  मेरठ में गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर भाकियू कार्यकर्ताओं ने आधी रात में डीएम आॅफिस पर डेरा लगा दिया। रात्रि में भाकियू के धरना आरंभ कर देने से अधिकारी भी नहीं समझ पाये कि आखिर रात्रि में धरना क्यों चालू कर दिया हैं। धरने पर बैठे किसानों ने बताया कि लखीमपुर खीरी में धरने पर बैठे किसानों का पानी और बिजली काटने से किसानों का आक्रोश भड़क गया। 75 घंटे से लखीमपुर खीरी में किसानों को केन्द्रीय मंत्री के खिलाफ धरना चल रहा हैं।  भारतीय किसान यूनियन के राष्टÑीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत के आह्वान पर रात्रि में अचानक धरना आरंभ हुआ हैं। किसान अपना हुक्का व टेंट लेकर डीएम आॅफिस पर पहुंचे तथा यहीं पर अपना डेरा जमा दिया। किसानों के रात्रि में धरने पर बैठने से  प्रशासन में खलबली मच गई। सुबह तक किसानों की भीड़ कलक्ट्रेट में बढ़ जाएगी। ऐसा माना जा रहा हैं। यहां धरने का नेतृत्व रविंद्र सिंह दौरालिया कर रहे हैं।  केन्द्रीय राज्यमंत्री अजय टोनी की बर्खास्तगी की मांग को लेकर किसानों का धरना चल रहा हैं। किसानों पर दर्ज कराये गए मुकदमों को वापस करने की मांग को लेकर किसान धरना दे रहे हैं।  भाक