दिल्ली के सिंधु बॉर्डर पर शर्द माहौल में किसानों का बाइस दिन से चल रहे धरने ने अचानक शर्द ऋतु में राजनीति का तापमान बढ़ा दिया है। किसान बेल्ट वेस्ट यूपी में शीतलहर चल रही है, लेकिन ठिठुरन भरे इस मौसम में राजनीतिक पारा चढ़ गया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब पांच दिन के भीतर मेरठ व बरेली में दो बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसानों की सभा कर चुके हैं, वहीं केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी किसानों की नब्ज टटोलने के लिए पहुंच गई। कडाके की ठंड के बीच अचानक भाजपा को किसानों की याद सताने लगी है। दरसअल, जिस तरह से किसान राजनीति हाशिये पर पहुंच गई थी, दिल्ली में चल रहे किसानों के धरने ने सत्ता का रुख फिर से किसानों की तरफ कर दिया है। वेस्ट यूपी में किसान बड़ी ताकत है। यहां पर गन्ने की राजनीति रही है, लेकिन भाकियू ने दिल्ली के धरने में भागीदारी कर भाजपा की नींद उठा दी है। कृषि बिल को लेकर देश भर का किसान एकजुट हो रहा है। इसमें दो राय नहीं है। किसानों की एकजुटता ने भाजपा शीर्ष नेताओं को दुविधा में डाल दिया है। क्योंकि भाजपा नेताओं ने अब रणनीति यह बनाई है कि कृषि बिल के मुद्दे पर किसानों को बांट दिया ज