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मुआवजे पर ठनी रार, प्रशासन व किसान आमने-सामने


मेरठ के शताब्दीनगर की 600 एकड़ जमीन के मुआवजे को लेकर किसानों व प्रशासन में ‘रार’ बढ़ गई है। मुआवजे के मुद्दे को लेकर प्रशासन व किसान आमने-सामने आ गए हैं। प्रशासनिक अफसर व किसान शनिवार को बचत भवन में एक प्लेटफॉर्म पर बैठे, जिसमें डीएम अनिल ढींगरा ने दो टूक कह दिया कि किसानों को नई नीति के तहत मुआवजा प्रशासन नहीं देगा, वहीं किसानों ने भी एमडीए को जमीन हैंडओवर करने से साफ इनकार कर दिया है। इस तरह से प्रशासन व किसानों के बीच टकराव बनना तय है। उधर, शताब्दीनगर के सेक्टर-छह में आमरण-अनशन पर बैठे भाकियू नेता विजयपाल घोपला के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। शनिवार को उनका चिकित्सा परीक्षण भी हुआ, जिसमें उनका दो किलो वजन गिरा है।
शताब्दीनगर की 600 एकड़ जमीन को लेकर लंबे समय से प्रशासन व किसानों के बीच विवाद चला आ रहा है। किसानों ने 600 एकड़ जमीन पर कब्जा कर रखा है तथा किसान इस जमीन पर खेती कर रहे हैं। इस जमीन पर कब्जा लेने के लिए एमडीए की टीम शुक्रवार को शताब्दीनगर पहुंची थी। पुलिस की मौजूदगी में एमडीए की टीम को किसानों ने दौड़ा लिया था तथा जेसीबी मशीन व टैÑक्टरों में तोड़फोड़ कर दी थी। इसके बाद एमडीए कर्मचारी व अफसर कब्जा लिये बिना ही वापस लौट गए थे। किसानों व एमडीए कर्मियों के बीच जबरदस्त टकराव बन गया था, ऐसे में बड़ी हिंसा भी हो सकती थी। बाद में किसानों के बीच भाकियू के राष्टÑीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी आ गए थे। उन्होंने भी नई अधिग्रहण नीति के तहत मुआवजा मांगा था। कहा था कि सरकार के आदेश में साफ लिखा है कि जिस जमीन पर पिछले पांच वर्ष से कब्जा नहीं मिला तथा विवाद चल रहा है,उसमें नई अधिग्रहण नीति के तहत किसानों को मुआवजा दिया जाए। इसी मुद्दे को लेकर शनिवार को डीएम अनिल ढींगरा व किसानों के बीच एक बैठक बचत भवन में तय हुई थी। सुबह 9.30 बजे बैठक में किसान बड़ी तादाद में पहुंच गए। डीएम अनिल ढींगरा, एसएसपी अजय साहनी समेत तमाम आला अफसर मौजूद रहे। प्रशासनिक व किसानों के बीच करीब एक घंटा वार्ता चली, जिसमें डीएम ने दो टूक कह दिया कि नई नीति के तहत मुआवजा नहीं दिया जा सकता। पहले ही एमडीए बढ़ा हुआ मुआवजा किसानों को दे चुका हैं। इसके बाद किसानों ने कहा कि उन्हें नई अधिग्रहण नीति से मुआवजा चाहिए। इसके बिना किसी भी शर्त पर किसान सहमत नहीं होंगे। इतना कहकर किसान बैठक से बायकाट कर चले गए।

अनशन पर बैठे विजयपाल घोपला का दो किलो वजन गिरा
आमरण-अनशन पर बैठे भाकियू नेता विजयपाल घोपला के स्वास्थ्य का परीक्षण करने के लिए चिकित्सकों की एक टीम पहुंची। चिकित्सकों का कहना है कि भाकियू नेता का करीब दो किलो वजन गिरा है। विजयपाल घोपला का आज आमरण-अनशन पर बैठने का दूसरा दिन था। शुक्रवार को हुए बवाल के बाद से ही भाकियू नेता विजयपाल घोपला अनशन पर बैठ गए थे। उनके सहयोग में बड़ी तादाद में किसान शताब्दीनगर स्थित आंदोलन स्थल पर बैठे हुए हैं। किसान रात-दिन उनके पास मौजूद रहते हैं। किसानों की दिन में भीड़ बढ़ जाती है, वहीं रात्रि में किसानों की तादाद कम हो जाती है।

‘मेरी जान जाने से शासन की नींद टूटती है तो मैं जान देने को तैयार हूं’
भाकियू नेता विजयपाल घोपला ने जनवाणी के साथ बातचीत में कहा कि पिछली बार प्रशासन ने उसका धोखे से अनशन तुड़वा दिया था, इस बार मैं मार जाऊंगा, मगर अनशन नहीं तोडूंगा। मैं आहत हूं...। प्रशासन के ढुलमुल रवैये से। एमडीए शताब्दीनगर में पन्द्रह हजार रुपये मीटर जमीन बेच रहा है तथा किसान को सिर्फ एक हजार रुपये..यह कैसा न्याय हैं? किसान बर्बाद हो गया है। किसान को नई अधिग्रहण नीति से मुआवजा चाहिए। पिछले दो दशक से किसानों का 600 एकड़ जमीन पर कब्जा है। किसान बराबर खेती कर रहा है। फिर मुआवजा नई नीति से क्यों नहीं मिलेगा। प्रशासन इसका प्रस्ताव तैयार करके शासन को भेजे। इस बार किसान आर-पार के मूड में हैं। मैं अपनी जान दे दूंगा, मगर अनशन नहीं तोड़ूंगा। शताब्दीनगर की धरती बलिदान मांग रही है, जिसके लिए मैं तैयार हूं। एक किसान मरेगा तो बाकी को तो मुआवजा मिलेगा। एक जान चली जाएगी तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मेरी जिंदगी खत्म होने के बाद ही यदि शासन की नींद टूटती है तो मैं इसके लिए भी तैयार हूं।

690 रुपये मुआवजा अमान्य
मेरठ विकास प्राधिकरण ने ढाई दशक पहले शताब्दीनगर के लिए जमीन का अधिग्रहण किया था। 2005 में किसानों को 165 रुपये प्रति मीटर के हिसाब से मुआवजा दिया गया था, जिसे किसानों ने नाकाफी बताया था तथा जमीन पर एमडीए को कब्जा नहीं दिया था। अप्रैल 2011 में फिर से एमडीए ने 690 रुपए प्रति मीटर जमीन का मुआवजा बढ़ाकर दिया था। इसे लेने के बाद भी किसानों ने मुआवजे को नाकाफी बताया था। इसके बाद से ही किसान आंदोलित है तथा मुआवजे को लेकर लगातार धरने-प्रदर्शन कर रहे हैं। तीन गांव के किसान नई प्रतिकर नीति के तहत प्रतिकर की मांग पिछले कई वर्षों से करते हुए धरने पर बैठे हैं, जबकि शताब्दीनगर, वेदव्यासपुरी, गंगानगर, लोहियानगर योजना के किसान पुरानी प्रतिकर नीति समझौते के तहत जमीन पर कब्जा दे चुके हैं, लेकिन यहां के किसान इस पर सहमत नहीं है।

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