यूपी की कमान युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथ में है। कमान सं•ाालते ही उन्होंने अधिकारियों के तबादले किए। तबादलों में हर जाति के अधिकारी को तव्वजो दी गई। तैनाती में एक दम पारदर्शिता बरती गई। विपक्षी दलों को •ाी युवा मुख्यमंत्री ने उंगली उठाने को मौका तक नहीं दिया, मगर सवाल यह है कि मुख्यमंत्री पूरी ईमानदारी बरत रहे है, फिर •ाी अधिकारी घूसखोरी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। •ा्रष्टाचार पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है। मुख्यमंत्री ईमानदारी से कार्य कर रहे है, फिर अधिकारियों को लूट-खसौट क्यों करने दी जा रही है? इस लूट पर कैसे अंकुश लगेगा। इस तरफ यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आखिर ध्यान क्यों नहीं दे रहे है? घूसखोर अफसरों की रिपोर्ट जिला स्तर से क्यों नहीं मंगाई जा रही है? मुख्यमंत्री को चाहिए की •ा्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए •ा्रष्ट अफसरों पर सीधे नकेल कसे, त•ाी •ा्रष्टाचार पर रोक लग सकती है। •ा्रष्ट अफसरों की वजह से सपा सरकार की सीधे छवि धूमिल हो रही है। एक वि•ााग नहीं, बल्कि कई वि•ाागों के अधिकारी खुली घूस ले रहे हैं। कमिशन •ाी बढ़ा दिया गया था। ठीक वैसे ही चल रहा है, जैसे बसपा के शासन काल में घूसखोरी चल रही थी। यूपी के वरिष्ठ मंत्री आजम खां ने सही कहा है कि अधिकारी शायद अ•ाी •ाी यहीं सोच रहे हैं कि बसपा की सरकार चल रही है। आजम खां •ाी अपने तरीके से अफसरों को हिदायत दे चुके है, फिर •ाी अधिकारी बाज नहीं आ रहे हैं। •ा्रष्ट अधिकारियों पर लगाम कसने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को प्रत्येक जिले में पहुंचकर समीक्षा करनी होगी। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से प्रत्येक अधिकारी का रिपोर्ट कार्ड तैयार कराना होगा। इसके बाद ही मालूम हो सकेगा कि कौन-कौन अधिकारी •ा्रष्टाचार में लिप्त है? •ा्रष्टाचार पर अंकुश लगने के बाद ही युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की छवि को चार चांद लग जाएंगे। •ा्रष्टाचार तो देश•ार में फैला है, लेकिन लोगों को अखिलेश यादव से काफी उम्मीदें है। अब सवाल यह है कि अखिलेश यादव जनता की उम्मीदों पर खरे उतरते है या फिर नहीं? यह तो फिलहाल समय के गर्•ा में है, मगर इतना अवश्य है कि बसपा के शासन में जो तबादला उद्योग चल रहा था? मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कुर्सी सं•ाालने के बाद तबादला उद्योग से लोगों को निजात मिली है।
भू-माफिया घोषित करने की मांग, किसानों ने दिया ज्ञापन मेरठ में घाट के कुछ किसान गुरुवार को कमिश्नर के सामने पेश हुए। इन किसानों का आरोप था कि बिल्डर मोनू गुर्जर ने उनके खेत की चकरोड और नाली को खत्म कर दिया है, जिसके चलते किसान अपने खेतों पर नहीं जा पाते है और खेतों की सिंचाई भी नहीं कर पा रहे हैं। नहीं आवगमन हो पाता हैं। उनके खेतों पर आने जाने के लिए रास्ता भी खत्म कर दिया गया है। किसानों का कहना है कि उनके खेत की चकरोड और नालियों को खत्म करने वाले बिल्डर को भू-माफिया में चिन्हित कर कानूनी कार्रवाई की जाए। किसानों ने कहा कि खसरा संख्या 1141, 1149, 1162, 1170 आदि में नाली सरकारी है, जो बिल्डर मोनू ने अवैध कॉलोनी में मिलाकर कब्जा कर लिया है, ऐसा आरोप लगाया है। इसमें कितनी सच्चाई हैं, इसकी जांच एमडीए सचिव और प्रशासन की टीम करेगी, जिसके बाद ही वास्तविकता सामने आएगी। शिकायतकर्ता किसान दुर्गा पुत्र शीशा निवासी घाट ने कमिश्नर से गुहार लगाई है कि सरकारी नाली और उनकी चकरोड की जमीन को कब्जा मुक्त कराकर मोनू के खिलाफ भू-माफिया की कार्रवाई की जाए। साथ ही उनकी अवैध कॉलोनी पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्तीक
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