सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फ़ैसला सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट को निचली अदालत की जज अर्चना सिन्हा के ख़िलाफ़ कार्रवाई का आदेश दिया है। दिल्ली की एक निचली अदालत में जज अर्चना सिन्हा के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जजों के ऐसे व्यवहार से ही न्यायपालिक की बदनामी होती है। सुप्रीम कोर्ट ने अर्चना को 10 मई में कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। दरअसल 23 अप्रैल को जज अर्चना सिन्हा ने उधम सिंह जैन चैरिटेबल ट्रस्ट को आत्मा राम बिल्डर की जगह खाली करने के आदेश पर रोक लगा दी थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 6 अक्टूबर को उधम सिंह को घर खाली करने का आदेश दिया था।
भू-माफिया घोषित करने की मांग, किसानों ने दिया ज्ञापन मेरठ में घाट के कुछ किसान गुरुवार को कमिश्नर के सामने पेश हुए। इन किसानों का आरोप था कि बिल्डर मोनू गुर्जर ने उनके खेत की चकरोड और नाली को खत्म कर दिया है, जिसके चलते किसान अपने खेतों पर नहीं जा पाते है और खेतों की सिंचाई भी नहीं कर पा रहे हैं। नहीं आवगमन हो पाता हैं। उनके खेतों पर आने जाने के लिए रास्ता भी खत्म कर दिया गया है। किसानों का कहना है कि उनके खेत की चकरोड और नालियों को खत्म करने वाले बिल्डर को भू-माफिया में चिन्हित कर कानूनी कार्रवाई की जाए। किसानों ने कहा कि खसरा संख्या 1141, 1149, 1162, 1170 आदि में नाली सरकारी है, जो बिल्डर मोनू ने अवैध कॉलोनी में मिलाकर कब्जा कर लिया है, ऐसा आरोप लगाया है। इसमें कितनी सच्चाई हैं, इसकी जांच एमडीए सचिव और प्रशासन की टीम करेगी, जिसके बाद ही वास्तविकता सामने आएगी। शिकायतकर्ता किसान दुर्गा पुत्र शीशा निवासी घाट ने कमिश्नर से गुहार लगाई है कि सरकारी नाली और उनकी चकरोड की जमीन को कब्जा मुक्त कराकर मोनू के खिलाफ भू-माफिया की कार्रवाई की जाए। साथ ही उनकी अवैध कॉलोनी पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्तीक
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