अगर अमेरिका लादेन को दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी मान रहा था तो उसे मारने के बाद अब भी आराम से बैठने की फुरसत नहीं मिलनेवाली। अनवर अल अवलाकी वो शख़्स है जो अपने अल्फाज़ से नए लादेन तैयार करने की कूबत रखता है। अवलाकी का इतिहास रहा है कि उसकी बातों में आकर युवाओं ने पूरी दुनिया में कई जगहों पर दहशत फैलाने की कोशिश की। 9/11 के दो हाईजैकर्स नवाज़ अल हाज़मी और खालिद अल मिहधर अवलाकी के चेले थे। अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अवलाकी की आवाज़ में आतंक का कैसा जादू है जो लोगों को बहकाने में माहिर है। ब्रिटिश एयरवेज़ में आईटी एक्सपर्ट राजिब करीम भी अनवर अल अवलाकी की बातों में आकर यूएस के एक पैसेंजर जेट को उड़ाने की कोशिश की। ऐसा नहीं है कि एक मिशन फेल हो गया तो अवलाकी शांत बैठ जाता है। अवलाकी दूसरे मिशन पर निकल जाता है और उसके लिए वह दूसरे बकरे को पकड़ता है। उसके मुरीद अमेरिका में भी है, वो भी अमेरिकी सेना में। फोर्ट हुड टेक्सास का वो दिन कोई नहीं भूल सकता जब मेजर निदाल मलिक हसन ने अपने 13 साथियों पर ही हमला बोल दिया था।
मेजर निदाल मलिक हसन अवलाकी से कभी मिला नहीं था। लेकिन अवलाकी की बातों ने निदाल मलिक हसन को इस तरह से प्रेरित किया कि वो एक आर्मी ऑफिसर से एक आतंकवादी बन गया। अगर अलक़ायदा के निशाने पर हमेशा अमेरिका होता था तो अवलाकी के निशाने पर हमेशा ब्रिटेन होता है। उसने रोशन आरा चौधरी नाम की एक 21 साल की छात्रा का दिमाग बदलकर रख दिया और उसने सांसद स्टिफेन टिम्स को चाकू से मारने की कोशिश की थी। अवलाकी के लिए कॉलेज के स्टूडेंट्स हमेशा से सॉफ़्ट टार्गेट रहे हैं। वह भी एक कॉलेज स्टूडेंट था। उमर अब्दुल मुतल्लब जो अपने अंडरवियर में बम छुपाकर प्लेन में घुस गया था। उसे प्लेन के भीतर ही पकड़ा गया। बाद में जब उमर के बारे में पता लगाया गया तो पता चला कि उसने बक़ायदा आतंकियों से ट्रेनिंग ली थी। यही नहीं अलक़ायदा की मैगज़ीन में अक्सर उसे छुड़ाने को लेकर लेख भी निकलते रहते हैं। उसके साथ ओसामा बिन लादेन की तस्वीर लगाई जाती रही है। ज़ाहिर है वो अवलाकी ही था जिसने उमर को एक आतंकी बना दिया। ये है अवलाकी होने के मायने। अमेरिका में जन्मे अवलाकी ने जब अपने कॉलेज की ओर से 1996 में अफगानिस्तान का दौरा किया तो तभी उसके दिमाग़ में आतंक के अंकुर फूटने लगे थे। वो जब वापस लौटा तो इमाम बना और एक मस्जिद में भड़काऊ भाषण देना शुरू कर दिया। 2001 में 9/11 के बाद उसने 2002 में अमेरिका छोड़ दिया और ब्रिटेन में 2 साल रहने के बाद यमन चला गया और माना जा रहा है कि अवलाकी अभी भी वहीं है।
मेजर निदाल मलिक हसन अवलाकी से कभी मिला नहीं था। लेकिन अवलाकी की बातों ने निदाल मलिक हसन को इस तरह से प्रेरित किया कि वो एक आर्मी ऑफिसर से एक आतंकवादी बन गया। अगर अलक़ायदा के निशाने पर हमेशा अमेरिका होता था तो अवलाकी के निशाने पर हमेशा ब्रिटेन होता है। उसने रोशन आरा चौधरी नाम की एक 21 साल की छात्रा का दिमाग बदलकर रख दिया और उसने सांसद स्टिफेन टिम्स को चाकू से मारने की कोशिश की थी। अवलाकी के लिए कॉलेज के स्टूडेंट्स हमेशा से सॉफ़्ट टार्गेट रहे हैं। वह भी एक कॉलेज स्टूडेंट था। उमर अब्दुल मुतल्लब जो अपने अंडरवियर में बम छुपाकर प्लेन में घुस गया था। उसे प्लेन के भीतर ही पकड़ा गया। बाद में जब उमर के बारे में पता लगाया गया तो पता चला कि उसने बक़ायदा आतंकियों से ट्रेनिंग ली थी। यही नहीं अलक़ायदा की मैगज़ीन में अक्सर उसे छुड़ाने को लेकर लेख भी निकलते रहते हैं। उसके साथ ओसामा बिन लादेन की तस्वीर लगाई जाती रही है। ज़ाहिर है वो अवलाकी ही था जिसने उमर को एक आतंकी बना दिया। ये है अवलाकी होने के मायने। अमेरिका में जन्मे अवलाकी ने जब अपने कॉलेज की ओर से 1996 में अफगानिस्तान का दौरा किया तो तभी उसके दिमाग़ में आतंक के अंकुर फूटने लगे थे। वो जब वापस लौटा तो इमाम बना और एक मस्जिद में भड़काऊ भाषण देना शुरू कर दिया। 2001 में 9/11 के बाद उसने 2002 में अमेरिका छोड़ दिया और ब्रिटेन में 2 साल रहने के बाद यमन चला गया और माना जा रहा है कि अवलाकी अभी भी वहीं है।
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