मेरठ के दौराला स्टेशन पर बर्निंग ट्रेन बन गई। आखिर क्यों ? इसके पीछे बड़ी लापरवाही सामने आ रही हैं। ट्रेन की सही समय पर चेकिंग नहीं हुई, जिसके चलते ट्रेन आग के मुहाने पर आकर खड़ी हो गई। ये यक्ष प्रश्न विभाग के सामने खड़ा हो गया हैं। इसको लेकर रेल विभाग के आला अफसरों की प्रारंभिक जांच पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है कि ट्रेन की बोगी में सहारनपुर से ही आग लगी थी। लापरवाही सहारनपुर से हुई, जो एक बड़े हादसे में तब्दील हो गई। गैटमैन इस्लाम ने सतर्कता नहीं दिखाई होती तो पांच सौ लोगों की जान जा सकती थी, जो रेल विभाग के माथे पर बड़ा कलंक लग गया होता। अब बड़ा सवाल ये है कि लापरवाही करने वाले सहारनपुर के स्टाफ पर क्या कार्रवाई की जाएगी? जब ट्रेन सहारनपुर में थी, तब आग लग चुकी थी, लेकिन आग छोटे स्तर पर थी। इसके बाद आग बढ़ती चली गई, जिसके बाद सकौती स्टेशन पर आग ने विकराल रूप ले लिया। इसके बाद ट्रेन को दौराला स्टेशन पर खड़ा किया गया। आग लगने के कई कारणों की जांच पड़ताल की जा रही हैं। विभाग के आला अफसर इसकी जांच पड़ताल में जुटे हैं। आग से क्षतिग्रस्त हुई ट्रेन की बोगियों को दौराला स्टेशन पर ही एक तरफ खड़ा करा दिया गया है। ट्रेन की ट्राली में सबसे पहले आग लगी थी। यह तथ्य भी प्रारंभिक जांच में सामने आया हैं। ट्राली में बिजली का ट्रांसफार्मर रखा हुआ था, जिसमें फाल्ट हुआ। इसके बाद ही ट्राली से चली आग की चिंगारी ने भीषण रूप ले लिया। दरअसल, प्रत्येक स्टेशन पर ट्राली को चेक किया जाता हैं। क्योंकि वहां पर बिजली का ट्रांसफार्मर लगा होता है तथा ओयल भी वहीं पर होता हैं। क्योंकि बिजली की आपूर्ति वहीं से ट्रेन को दी जाती हैं। वहीं से आग लगी, जिसमें विभाग के कर्मचारियों ने लापरवाही बरती, जिसके बाद आग धीरे-धीरे बड़ा रूप लेती चली गई। दौराला स्टेशन पर जब ट्रेन पहुंची, तब आग ऐसी स्थिति में नहीं थी कि उस पर काबू पाया जा सकता था। आग का तब भीषण रूप देखा गया। आग ने बोगी को चपेट में ले लिया, जिसके बाद धूं-धूंकर पूरी बोगी जलकर राख हो गई।
सहारनपुर व मेरठ के अधिकारी दिल्ली तलब
बर्निंग ट्रेन के मामले में रेल विभाग के आला अफसरों ने विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को सोमवार को दिल्ली तलब कर लिया है। सहारनपुर स्टेशन पर जिस समय ट्रेन दिल्ली के लिए रवाना हुई, तब कौन-कौन अधिकारी और कर्मचारी थे, उनको तलब किया गया है। इसमें लापरवाही कहां हुई? उनको इसमें सजा दी जा सकती हैं, लेकिन साथ ही उन कर्मचारियों को पुरस्कार भी मिल सकता है, जिनकी भूमिका सहरायनीय रही। तीन मैकेनिक ऐसे थे, जिन्होंने ट्रेन में आग लगी होने के बाद उसे बाकी बोगियों से अलग किया। इस तरह से रेल विभाग का नुकसान होने से भी बच गया।
नहीं है स्टेशन पर आग बूझाने के यंत्र
सिस्टम आग लगने की बड़ी घटना से भी सुधार नहीं रहा है। छोटे-बड़े रेलवे स्टेशनों पर आग बुझाने के यंत्र तक विभाग के पास नहीं हैं। सिस्टम आग लगने के बाद कैसे लड़ाई लड़ेगा? यह बड़ा सवाल हैं। आग बुझाने के यंत्र प्रत्येक स्टेशन पर होने चाहिए। जिस तरह से दो दिन पहले दौराला स्टेशन पर हादसा हुआ, ऐसा हादसा किसी भी स्टेशन पर हो सकता हैं। फिर आग से बचाव कैसे करेंगे? जब तक दमकल कर्मियों को बुलाया जाएगा, तब तक तो बहुत कुछ नुकसान हो चुका होगा। आग बुझाने के यंत्र स्टेशन पर ही मौजूद होने चाहिए, जो एमरजेंसी में काम आएंगे।
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