यूपी में योगी आदित्यनाथ ने जब प्रदेश मुख्यमंत्री की बागडौर संभाली तो लगा कि माफिया का सफाया हो जाएगा, लेकिन वर्तमान में माफिया सरकारी और वक्फ बोर्ड की जमीन को हथियाकर कॉलोनी विकसित कर रहा हैं। उनकी चाबुक मेरठ के माफिया पर नहीं चल रही है। हम बात कर रहे हैं मेरठ के कंकरखेड़ा स्थित ड्रीम सिटी के समीप वक्फ बोर्ड की 65 बीघा जमीन की। सरकारी दस्तावेज में ये जमीन वर्तमान में भी 65 बीघा दर्ज हैं, लेकिन मौके पर 17 बीघा जमीन हैं। बाकी 48 बीघा जमीन कहां गई? कुछ पता नहीं। यह बड़ा सवाल भी हैं, जिसका जवाब नहीं तो प्रशासन के पास है और नहीं वक्फ बोर्ड के पास। बची 17 बीघा जमीन पर मिट्टी डालकर कब्जा किया जा रहा हैं। रोड बनाने के लिए मिट्टी भराव किया जा रहा हैं। र्इंटों के चट्टे लगा दिये गए हैं दीवार करने के लिए। जमीन पर कब्जा कर प्लाटिंग करने वाले भाजपा के कई नेताओं के नाम इसमें सामने आ रहे हैं, जिनका नाम फिलहाल सार्वजनिक करना अनुचित हैं। ऐसा तब है, जब इस जमीन को लेकर सपा सरकार में कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जा चुका हैं। विवादित जमीन पर कब्जा कर प्लाटिंग की जा रही हैं, फिर भी भाजपा नेता अपने सफेद कुर्ते पर दाग नहीं लगने दे रहे हैं। विपक्ष भी करीब 70 करोड़ की जमीन पर कब्जा होते हुए चुपचाप देख रहा हैं। बाकौल, तहसीलदार रामेश्वर प्रसाद ये जमीन सरकारी दस्तावेज में वक्फ बोर्ड के नाम पर दर्ज हैं। जमीन 65 बीघा वक्फ बोर्ड के नाम थी, वर्तमान में भी सरकारी दस्तावेजों में इसका उल्लेख हैं, लेकिन मौके पर जमीन 17 बीघा मौजूद हैं। बड़ा सवाल यह है कि जब जमीन 65 बीघा थी तो 48 बीघा जमीन कहां गई? क्या इस जमीन को पहले ही माफिया कब्जा कर प्लाटिंग कर चुका हैं। क्या इस पूरी जमीन की पैमाइ की जाएगी ? इस जमीन को भी कब्जा मुक्त कराने के दिशा में प्रयास किये जाएंगे? फिलहाल इस जमीन के मामले में भाजपा के कई नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। उससे नहीं लगता है कि प्रशासन निष्पक्ष तरीके से इस जमीन की जांच पड़ताल कर पाएगा? जैसे 48 बीघा जमीन पर माफिया ने प्लाटिंग कर भोले-भाले लोगों को जमीन बेच दी, ठीक वैसे ही 17 बीघा जमीन को भी बेच दिया जाएगा। सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि इस जमीन पर अगले हिस्से में दुकानों की एडवांस सेल कर दी गई हैं। मौके पर फिलहाल मिट्टी का भराव किया जा रहा हैं। इसी बीच दुकानों की भी बिक्री कर दी गई हैं। प्रशासन भले ही हर रोज निर्माण रुकवाने के नाम पर ड्रामा कर रहा हो,लेकिन माफिया ने जमीन जैसी अवस्था में है, वैसी अवस्था में ही जमीन को बेचना आरंभ कर दिया हैं। जिस तरह से एमडीए विवादित जमीन पर बोर्ड लगाता था, इसमें ऐसा कोई बोर्ड भी नहीं लगाया गया हैं। वर्तमान में एमडीए उपाध्यक्ष का कार्यभार भी डीएम दीपक मीणा पर है और प्रशासनिक व्यवस्था तो वह बतौर डीएम के रूप में पहले से ही देख रहे हैं। ऐसे में माफिया पर शिकंजा आसानी से कसा जा सकता हैं। फिर यह भी पता लगाया जा सकता है कि 48 बीघा जमीन जो वक्फ बोर्ड की थी, उस पर प्लाटिंग किसने की? जब जमीन वक्फ बोर्ड की थी तो बेचने वाले कौन थे? वक्फ बोर्ड स्पष्ट कर चुका है कि इस जमीन को बेचा ही नहीं जा सकता। इसमें पहले भी मुकदमा दर्ज कराया जा चुका हैं। फिर वर्तमान में कैसे बेचने की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं। डीएम दीपक मीणा ने दो दिन पहले इस पर चल रहे निर्माण कार्य को एमडीए इंजीनियरों को भेजकर काम रुकवा दिया था। तहसील की टीम को भी मौके पर भेजा था। इसके बावजूद दुस्साहस देखिये कि फिर भी भोले-भाले लोगों को एडवांस दुकाने बेची जा रही हैं।
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