मेरठ के हस्तिनापुर अभ्यारण क्षेत्र में राष्ट्रीय पक्षी मोर भी सुरक्षित नहीं है। शुक्रवार को समसपुर गांव के जंगल में तस्कर ने जाल व खटका लगाकर तीन राष्ट्रीय पक्षी मोर की हत्या कर दी। वन विभाग की टीम व पुलिस पूछताछ में गिरफ्तार तस्कर ने कबूला कि राष्ट्रीय पक्षी मोर की हत्या करने के बाद मांस की तस्करी की जाती थी। तस्करी की ये पहली घटना नहीं, बल्कि कई वर्षों से तस्करी के गोरखधंधे में लगा हुआ था। समसपुर का जंगल राष्ट्रीय पक्षी मोर के लिए सुरक्षित माना जाता था, लेकिन यहां भी तस्करों की गिद दृष्टि पड़ गई है। एक तस्कर को ग्रामीणों ने पकड़ कर पुलिस के सुपुर्द कर दिया है। मौके से तीन मृत मोर, एक जाल व एक खटका पुलिस ने बरामद हुए हैं।
पुलिस ने मोर की हत्या की घटना की सूचना हस्तिनापुर वन रेंज अधिकारी कल्याण सिंह को दी, जिसके बाद ही वन विभाग की एक टीम समसपुर के जंगल में पहुंची। वन विभाग की टीम ने जंगल में लगाये गये जाल व खटका तथा मौके पर मृत मिले तीनों राष्ट्रीय पक्षी मोर को कब्जे में ले लिया है। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राजू पुत्र जगदीश निवासी सैफपुर-फिरोजपुर राष्ट्रीय पक्षी मोर की तस्करी करता है। मोर का कत्ल लंबे समय से किया जा रहा था। मोर का कत्ल करने के बाद उसकी तस्करी की जाती है। सर्दी में मोर के मांस की बेहद मांग होती है तथा इसकी मुंह मांगी उन्हें कीमत मिल जाती है। दरअसल, समसुपर निवासी आदेश पुत्र जहारिया खेत पर सिंचाई करने के लिए गया था, तभी शिकारी मोर का शिकार कर रहा था। ये देखकर आदेश चौक गया। बाकौल, आदेश जैसे ही वह शिकारी के समीप पहुंचा तो शिकारी मौके से भागने लगा, जिसके बाद उसने शोर मचा दिया तथा खेतों पर कार्य कर रहे किसानों ने तस्कर को दबोच लिया तथा पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने बरामद मोर व तस्कर राजू को वन रक्षक संसार सिंह के सुपुर्द कर दिया। राजू के खिलाफ वन्य जीव अधिनियम 1972 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया है।
भू-माफिया घोषित करने की मांग, किसानों ने दिया ज्ञापन मेरठ में घाट के कुछ किसान गुरुवार को कमिश्नर के सामने पेश हुए। इन किसानों का आरोप था कि बिल्डर मोनू गुर्जर ने उनके खेत की चकरोड और नाली को खत्म कर दिया है, जिसके चलते किसान अपने खेतों पर नहीं जा पाते है और खेतों की सिंचाई भी नहीं कर पा रहे हैं। नहीं आवगमन हो पाता हैं। उनके खेतों पर आने जाने के लिए रास्ता भी खत्म कर दिया गया है। किसानों का कहना है कि उनके खेत की चकरोड और नालियों को खत्म करने वाले बिल्डर को भू-माफिया में चिन्हित कर कानूनी कार्रवाई की जाए। किसानों ने कहा कि खसरा संख्या 1141, 1149, 1162, 1170 आदि में नाली सरकारी है, जो बिल्डर मोनू ने अवैध कॉलोनी में मिलाकर कब्जा कर लिया है, ऐसा आरोप लगाया है। इसमें कितनी सच्चाई हैं, इसकी जांच एमडीए सचिव और प्रशासन की टीम करेगी, जिसके बाद ही वास्तविकता सामने आएगी। शिकायतकर्ता किसान दुर्गा पुत्र शीशा निवासी घाट ने कमिश्नर से गुहार लगाई है कि सरकारी नाली और उनकी चकरोड की जमीन को कब्जा मुक्त कराकर मोनू के खिलाफ भू-माफिया की कार्रवाई की जाए। साथ ही उनकी अवैध कॉलोनी पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्तीक
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